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हिन्दी शिव ताण्डव स्तोत्रम

ॐ नमः शिवाय
महेश की जटान में लसे सुगंग धार है |
सुगंग की तरंग में छटा दिखे अपार है ||
ललाट में दिखात ज्वाल अग्नि की महान है |
सुचन्द्र चुड में सदा बसे हमारे प्राण हैं || १ ||

जब शिव ने सती का त्याग किया

ॐ नमः शिवाय
सभी लोग जानते हैं कि सती ने अपने पिता द्वारा शिव को यज्ञ में आमंत्रित न करने और उनका अपमान करने पर उसी यज्ञशाला में आत्मदाह कर लिया था लेकिन बहुत कम लोग यह जानते हैं कि इसकी भूमिका बहुत पहले हीं लिखी जा चुकी थी.

शिव का जलाभिषेक क्यों होता है !

ॐ नमः शिवाय


श्रावण मास में शिव जी के मस्तक पर जल अर्पण करने की परंपरा चली आ रही है पर बहुत से भक्तो को ये नहीं मालूम है की ऐसा क्यों किया जाता है...समुद्रमंथन के दौरान निकले हलाहल विष को सृष्टि को

शिवजी को क्यों प्रिय है सावन?

ॐ नमः शिवाय

    
चैत्र मास से प्रारम्भ होने वाला श्रवण पांचवां महीना है, जो जुलाई-अगस्त माह में पड़ता है। इसे वर्षा ऋतु या पावस ऋतु भी कहते हैं। श्रवण मास भगवान शिव को विशेष प्रिय है। अत: इस मास में आशुतोष भगवान शंकर

मैं तो शिव हूँ! शिव हूँ मैं!!

ॐ नमः शिवाय

 


चिदानन्द का सत्य रूप हूँ;
मैं तो शिव हूँ! शिव हूँ मैं!!
मन या बुद्धि नहीं मैं कोई,
चित्त, अहंकार भी नहीं;

शिव स्तुति

ॐ नमः शिवाय



शीश गंग अर्धांग पार्वती सदा विराजत कैलासी!
नंदी भृंगी नृत्य करत है, गुणभक्त  शिव की दासी!!
सीतल मद्सुगंध पवन बहे बैठी हैं शिव अविनाशी!
करत गान गन्धर्व सप्त सुर, राग - रागिनी सब गासी!!

श्री शिवानान्दा लहरी

ॐ नमः शिवाय

 

श्री शिवानान्दा लहरी  – Sri Shivananda Lahari

कलाभ्यां चूडालङ्कृत-शशि कलाभ्यां निज तपः-
फलाभ्यां भक्तॆशु प्रकटित-फलाभ्यां भवतु मॆ ।
शिवाभ्यां-अस्तॊक-त्रिभुवन शिवाभ्यां हृदि पुनर्-
भवाभ्याम् आनन्द स्फुर-दनुभवाभ्यां नतिरियम् ॥ 1 ॥

निर्वाण शतकम

ॐ नमः शिवाय

 

निर्वाण शतकम – Nirvaana Shatkam

शिवॊहं शिवॊहं, शिवॊहं शिवॊहं, शिवॊहं शिवॊहं

मनॊ बुध्यहङ्कार चित्तानि नाहं
न च श्रॊत्र जिह्वा न च घ्राणनॆत्रम् ।
न च व्यॊम भूमिर्-न तॆजॊ न वायुः
चिदानन्द रूपः शिवॊहं शिवॊहम् ॥ 1 ॥

श्री काल भैरावाश्ताकम

ॐ नमः शिवाय

श्री काल भैरावाश्ताकम – Sri Kaal Bhairavashtakam

दॆवराज सॆव्यमान पावनाङ्घ्रि पङ्कजं
व्यालयज्ञ सूत्रमिन्दु शॆखरं कृपाकरम् ।
नारदादि यॊगिबृन्द वन्दितं दिगम्बरं
काशिकापुराधिनाथ कालभैरवं भजॆ ॥ 1 ॥

श्री काशी विश्वनाथाष्टकम

ॐ नमः शिवाय

श्री काशी विश्वनाथाष्टकम – Sri Kashi Vishwanathashtakam

गङ्गा तरङ्ग रमणीय जटा कलापं
गौरी निरन्तर विभूषित वाम भागं
नारायण प्रियमनङ्ग मदापहारं
वाराणसी पुरपतिं भज विश्वनाधम् ॥ 1 ॥

लिंगाष्टकम

ॐ नमः शिवाय

लिंगाष्टकम – Sri Shiva Lingashtakam

ब्रह्ममुरारि सुरार्चित लिङ्गं
निर्मलभासित शॊभित लिङ्गम् ।
जन्मज दुःख विनाशक लिङ्गं
तत्-प्रणमामि सदाशिव लिङ्गम् ॥ 1 ॥

श्री शिव मंगलाष्टकम

ॐ नमः शिवाय

श्री शिव  मंगलाष्टकम  – Sri Shiva Mangalaashtakam

भवाय चन्द्रचूडाय निर्गुणाय गुणात्मनॆ ।
कालकालाय रुद्राय नीलग्रीवाय मङ्गलम् ॥ 1 ॥
वृषारूढाय भीमाय व्याघ्रचर्माम्बराय च ।
पशूनाम्पतयॆ तुभ्यं गौरीकान्ताय मङ्गलम् ॥ 2 ॥

श्री चन्द्रशेखराष्टकम

ॐ नमः शिवाय

श्री चन्द्रशेखराष्टकम - Sri Chandra Sekharashtakam

चन्द्रशॆखर चन्द्रशॆखर चन्द्रशॆखर पाहिमाम् ।
चन्द्रशॆखर चन्द्रशॆखर चन्द्रशॆखर रक्षमाम् ॥

रत्नसानु शरासनं रजताद्रि शृङ्ग निकॆतनं
शिञ्जिनीकृत पन्नगॆश्वर मच्युतानल सायकम् ।
क्षिप्रदग्द पुरत्रयं त्रिदशालयै रभिवन्दितं
चन्द्रशॆखरमाश्रयॆ मम किं करिष्यति वै यमः ॥ 1 ॥

श्री टोटकाष्टकम

ॐ नमः शिवाय

श्री  टोटकाष्टकम  – Sri Totakaashtakam

विदिताखिल शास्त्र सुधा जलधॆ
महितॊपनिषत्-कथितार्थ निधॆ ।
हृदयॆ कलयॆ विमलं चरणं
भव शङ्कर दॆशिक मॆ शरणम् ॥ 1 ॥

शिव बिल्वाष्टकम

ॐ नमः शिवाय

शिव बिल्वाष्टकम -  Shiva Bilvashtakam

त्रिदलं त्रिगुणाकारं त्रिनॆत्रं च त्रियायुधं
त्रिजन्म पापसंहारम् ऎकबिल्वं शिवार्पणं

त्रिशाखैः बिल्वपत्रैश्च अच्चिद्रैः कॊमलैः शुभैः
तवपूजां करिष्यामि ऎकबिल्वं शिवार्पणं

श्री अर्धनारीश्वर स्तोत्रम

ॐ नमः शिवाय

श्री अर्धनारीश्वर स्तोत्रम -  Sri Shiva Ardhanaareshwara Stotram

चाम्पॆयगौरार्धशरीरकायै
कर्पूरगौरार्धशरीरकाय ।
धम्मिल्लकायै च जटाधराय
नमः शिवायै च नमः शिवाय ॥ 1 ॥