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भवान्यष्टकम्

ॐ नमः शिवाय
 
भवान्यष्टकम्
Bhavani Ashtakam
द्वारा
आदि शंकराचार्य 
 
न तातो न माता न बन्धुर्न दाता
ल पुत्रो न पुत्री न भूत्यो न भर्ता ।
न जाया न विद्या न वृत्तिर्ममैव
गतिस्त्वं गतिस्त्वं त्वमेका भवानि ॥१॥

श्री अर्जुन-कृत श्रीदुर्गा स्तवन

ॐ नमः शिवाय
 श्री अर्जुन-कृत श्रीदुर्गा स्तवन
Arjun Krit Durga Stuti

विनियोग -
ॐ अस्य श्रीभगवती दुर्गा स्तोत्र मन्त्रस्य श्रीकृष्णार्जुन स्वरूपी नर नारायणो ऋषिः, अनुष्टुप् छन्द, श्रीदुर्गा देवता, ह्रीं बीजं, ऐं शक्ति, श्रीं कीलकं, मम अभीष्ट सिद्धयर्थे जपे विनियोगः।

श्री शिव गायत्री मन्त्र

ॐ नमः शिवाय
 श्री शिव गायत्री मन्त्र
Shiva Gayatri Mantra
ॐ तत्पुरुषाय विद्महे, महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्रः प्रचोदयात् ॥
ॐ पञ्चवक्त्राय विद्महे, सहस्राक्षाय महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्र प्रचोदयात् ॥

शिवषडाक्षरस्तोत्रम्

ॐ नमः शिवाय
 शिवषडाक्षरस्तोत्रम्
Shiva Sadakshara Stotram

श्रीगणेशाय नम: ॥

ॐ कारं बिंदुसंयुक्तं नित्यं ध्यायंति योगिन: । कामदं मोक्षदं चैव ॐकाराय नमो नम: ॥ १ ॥

शिव शंकर का विलक्षण प्रेम

ॐ नमः शिवाय
 शिव शंकर का विलक्षण प्रेम

संसार में जो कुछ भी एश्वर्य, माधुर्य, सौंदर्य, शक्ति, श्री,शौर्य,सुख, तेज, सम्पति, स्नेह, प्रेम, अनुराग, भक्ति, ज्ञान, विज्ञानं, रस, तत्त्व,गुण, महात्म्य आदि दीखते हैं , सब वहीँ से आता है,

चन्द्रशेखराष्टकम्

ॐ नमः शिवाय
 चन्द्रशेखराष्टकम्
Chandrasekhara Ashtakam 


चन्द्रशेखर चन्द्रशेखर चन्द्रशेखर पाहिमाम् ।
चन्द्रशेखर चन्द्रशेखर चन्द्रशेखर रक्षमाम् ॥ १॥

रत्नसानुशरासनं रजतादिशृङ्गनिकेतनं
सिञ्जिनीकृतपन्नगेश्वरमच्युताननसायकम् ।
क्षिप्रदघपुरत्रयं त्रिदिवालयैभिवन्दितं
चन्द्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यमः ॥ २॥

शिवस्तोत्ररत्नाकर

ॐ नमः शिवाय
 शिवस्तोत्ररत्नाकर
भगवान् शिवको नमस्कार
 
ॐ नम: शम्भवाय च मयोभवाय च नम: शंकराय च मयस्कराय च नम: शिवाय च शिवतराय च ॥

श्री दुर्गाष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम्

ॐ नमः शिवाय
  ॥श्री दुर्गायै नमः ॥

॥श्री दुर्गाष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् ॥

ईश्वर उवाच । शतनाम प्रवक्ष्यामि शृणुष्व कमलानने । 

यस्य प्रसादमात्रेण दुर्गा प्रीता भवेत् सती ॥१॥

ॐ सती साध्वी भवप्रीता भवानी भवमोचनी । 

आर्या दुर्गा जया चाद्या त्रिनेत्रा शूलधारिणी ॥२॥

सिद्धकुञ्जिकास्तोत्रम्

ॐ नमः शिवाय
 
सिद्धकुञ्जिकास्तोत्रम्
 
शिव उवाच

शृणु देवि प्रवक्ष्यामि कुंजिकास्तोत्रमुत्तमम्‌। 
येन मन्त्रप्रभावेण चण्डीजापः शुभो भवेत् ‌॥१॥

श्री शिवाष्टक 2

ॐ नमः शिवाय
श्री शिवाष्टक 2

आदि अनादि अनंत अखण्ड अभेद सुवेद बतावै ।
अलखअगोचररूपमहेस कौ जोगि जती-मुनि ध्यान न पावै ॥
आगम निगम पुराण सबै इतिहास ‍सदा जिनके गुण गावै ।
बडभागी नर नारि सोई जो साँब-सदाशिव कौ नित ध्यावै ॥