ब्लॉग में आने पर आपकी संख्या :-

श्री काशी विश्वनाथ जी

ॐ नमः शिवाय
काशी विश्वनाथ मंदिर बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है। यह मंदिर पिछले कई हजारों वर्षों से वाराणसी में स्थित है। काशी विश्‍वनाथ मंदिर का हिंदू धर्म में एक विशिष्‍ट स्‍थान है। ऐसा माना जाता है कि एक बार इस मंदिर के दर्शन करने और पवित्र गंगा में स्‍नान कर लेने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस मंदिर में दर्शन करने के लिए आदि शंकराचार्य, रामकृष्ण परमहंस, स्‍वामी विवेकानंद, स्‍वामी दयानंद, गोस्‍वामी तुलसीदास सभी का आगमन हुआ हैं।

निर्माण

पहले सम्राट अकबर ने इस मंदिर को बनवाने की अनुमति दी थी। बाद में औरंगजेब ने 1669 में इसे तुड़्वा दिया और यहां ज्ञानवापी नामक सरोवर के स्थान पर एक मस्जिद बन्वा दी थी। वर्तमान मंदिर का निर्माण महारानी अहिल्या बाई होल्कर द्वारा सन 1780 में करवाया गया था। बाद में महाराजा रंजीत सिंह द्वारा 1853 में 1000 कि.ग्रा शुद्ध सोने द्वारा मढ़्वाया गया था।

धारणा

हिन्दू धर्म में कहते हैं कि प्रलयकाल में भी इसका लोप नहीं होता। उस समय भगवान शंकर इसे अपने त्रिशूल पर धारण कर लेते हैं और सृष्टि काल आने पर इसे नीचे उतार देते हैं। यही नहीं, आदि सृष्टि स्थली भी यहीं भूमि बतलायी जाती है। इसी स्थान पर भगवान विष्णु ने सृष्टि उत्पन्न करने का कामना से तपस्या करके आशुतोष को प्रसन्न किया था और फिर उनके शयन करने पर उनके नाभि-कमल से ब्रह्मा उत्पन्न हुए, जिन्होने सारे की रचना की। अगस्त्य मुनि ने भी विश्वेश्वर की बड़ी आराधना की थी और इन्हीं की अर्चना से श्रीवशिष्ठजी तीनों लोकों में पुजित हुए तथा राजर्षि विश्वामित्र ब्रह्मर्षि कहलाये।

महिमा

सर्वतीर्थमयी एवं सर्वसंतापहारिणी मोक्षदायिनी काशी की महिमा ऐसी है कि यहां प्राणत्याग करने से ही मुक्ति मिल जाती है। भगवान भोलानाथ मरते हुए प्राणी के कान में तारक-मंत्र का उपदेश करते हैं, जिससे वह आवगमन से छुट जाता है, चाहे मृत-प्राण्ाी कोई भी क्यों न हो। मतस्यपुराण का मत है कि जप, ध्यान और ज्ञान से रहित एवंम दुखों परिपीड़ित जनों के लिये काशीपुरी ही एकमात्र गति है। विश्वेश्वर के आनंद-कानन में पांच मुख्य तीर्थ हैं:-

    दशाश्वेमघ,
    लोलार्ककुण्ड,
    बिन्दुमाधव,
    केशव और
    मणिकर्णिका


और इन्हीं से युक्त यह अविमुक्त क्षेत्र कहा जाता है |

Kindly Provide Food & clean drinking Water to Birds & Other Animals,
This is also a kind of SEWA.
 
For Join Our Blog :- Click Here
For Join Our New Blog :- Click Here
For Visit Our Website :- Click Here
For Our Profile :- Click Here
For Join Our Group :- Click Here
For Join Our Page :- Click Here
For Daily SAI SANDESH :- Click Here
For Daily MAHADEV SANDESH :- Click Here

No comments:

Post a Comment

Note: only a member of this blog may post a comment.