ॐ नमः शिवाय
प्रसिद्ध एक योग केंद्र है। ऋषिकेश का शांत वातावरण कई विख्यात आश्रमों का घर है।उत्तराखण्ड में समुद्र तल से 1360 फीट की ऊंचाई पर स्थित ऋषिकेश भारत के सबसे पवित्र तीर्थस्थलों में एक है। हिमालय की निचली पहाड़ियों और प्राकृतिक सुन्दरता से घिरे इस धार्मिक स्थान से बहती गंगा नदी इसे अतुल्य बनाती है। ऋषिकेश को केदारनाथ, बद्रीनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री का प्रवेशद्वार माना जाता है। कहा जाता है कि इस स्थान पर ध्यान लगाने से मोक्ष प्राप्त होता है। हर साल यहां के आश्रमों के बड़ी संख्या में तीर्थयात्री ध्यान लगाने और मन की शान्ति के लिए आते हैं। विदेशी पर्यटक भी यहां आध्यात्मिक सुख की चाह में नियमित रूप से आते रहते हैं।
प्रचलित कथाएं
ऋषिकेश से संबंधित अनेक धार्मिक कथाएं प्रचलित हैं। कहा जाता है कि समुद्र मंथन के दौरान निकला विष शिव ने इसी स्थान पर पिया था। विष पीने के बाद उनका गला नीला पड़ गया और उन्हें नीलकंठ के नाम से जाना गया। एक अन्य अनुश्रूति के अनुसार भगवान राम ने वनवास के दौरान यहां के जंगलों में अपना समय व्यतीत किया था। रस्सी से बना लक्ष्मण झूला इसका प्रमाण माना जाता है। 1939 ई. में लक्ष्मण झूले का पुनर्निर्माण किया गया। यह भी कहा जाता है कि ऋषि राभ्या ने यहां ईश्वर के दर्शन के लिए कठोर तपस्या की थी। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान ऋषिकेश के अवतार में प्रकट हुए। तब से इस स्थान को ऋषिकेश नाम से जाना जाता है।आकर्षण
लक्ष्मण झूला
गंगा नदी
के एक किनारे को दूसरे किनारे से जोड़ता यह झूला शहर खास की पहचान है। इसे
1939 में बनवाया गया था। कहा जाता है कि गंगा नदी को पार करने के लिए
लक्ष्मण ने इस स्थान पर जूट का झूला बनवाया था। झूले के बीच में पहुंचने
पर वह हिलता हुआ प्रतीत होता है। 450 फीट लंबे इस झूले के समीप ही लक्ष्मण
और रघुनाथ मंदिर हैं। झूले पर खड़े होकर आसपास के खूबसूरत नजारों का आनंद
लिया जा सकता है। लक्ष्मण झूला के समान राम झूला भी नजदीक ही स्थित है।
यह झूला शिवानंद और स्वर्ग आश्रम के बीच बना है। इसलिए इसे शिवानंद झूला
के नाम से भी जाना जाता है।
- त्रिवेणी घाट
ऋषिकेश में स्थान
करने का यह प्रमुख घाट है जहां प्रात: काल में अनेक श्रद्धालु पवित्र गंगा
नदी में डुबकी लगाते हैं। कहा जाता है कि इस स्थान पर हिन्दु धर्म की तीन
प्रमुख नदियों गंगा, यमुना और सरस्वती का संगम होता है। इसी स्थान से
गंगा नदी दायीं ओर मुड़ जाती है। शाम को होने वाली यहां की आरती का नजारा
बेहद आकर्षक होता है।
- स्वर्ग आश्रम
नीलकंठ महादेव मंदिर
लगभग
5500 फीट की ऊंचाई पर स्वर्ग आश्रम की पहाड़ी की चोटी पर नीलकंठ महादेव
मंदिर स्थित है। कहा जाता है कि भगवान शिव ने इसी स्थान पर समुद्र मंथन से
निकला विष ग्रहण किया गया था। विषपान के बाद विष के प्रभाव के से उनका
गला नीला पड़ गया था और उन्हें नीलकंठ नाम से जाना गया था। मंदिर परिसर
में पानी का एक झरना है जहां भक्तगण मंदिर के दर्शन करने से पहले स्थान
करते हैं।
- भरत मंदिर
यह ऋषिकेश का सबसे
प्राचीन मंदिर है जिसे 12 शताब्दी में आदि गुरू शंकराचार्य ने बनवाया था।
भगवान राम के छोटे भाई भरत को समर्पित यह मंदिर त्रिवेणी घाट के निकट ओल्ड
टाउन में स्थित है। मंदिर का मूल रूप 1398 में तैमूर आक्रमण के दौरान
क्षतिग्रस्त कर दिया गया था। हालांकि मंदिर की बहुत सी महत्वपूर्ण चीजों
को उस हमले के बाद आज तक संरक्षित रखा गया है। मंदिर के अंदरूनी गर्भगृह
में भगवान विष्णु की प्रतिमा एकल शालीग्राम पत्थर पर उकेरी गई है। आदि
गुरू शंकराचार्य द्वारा रखा गया श्रीयंत्र भी यहां देखा जा सकता है।
- कैलाश निकेतन मंदिर
लक्ष्मण झूले को पार
करते ही कैलाश निकेतन मंदिर है। 12 खंड़ों में बना यह विशाल मंदिर ऋषिकेश
के अन्य मंदिरों से भिन्न है। इस मंदिर में सभी देवी देवताओं की मूर्तियां
स्थापित हैं।
- वशिष्ठ गुफा
ऋषिकेश से 22 किमी.
की दूरी पर 3000 साल पुरानी वशिष्ठ गुफा बद्रीनाथ-केदारनाथ मार्ग पर स्थित
है। इस स्थान पर बहुत से साधुओं विश्राम और ध्यान लगाए देखे जा सकते हैं।
कहा जाता है यह स्थान भगवान राम और बहुत से राजाओं के पुरोहित वशिष्ठ का
निवास स्थल था। वशिष्ठ गुफा में साधुओं को ध्यानमग्न मुद्रा में देखा जा
सकता है। गुफा के भीतर एक शिवलिंग भी स्थापित है।
- गीता भवन
राम झूला पार करते ही
गीता भवन है जिसे 1950 ई. में श्रीजयदयाल गोयन्काजी ने बनवाया गया था। यह
अपनी दर्शनीय दीवारों के लिए प्रसिद्ध है। यहां रामायण और महाभारत के
चित्रों से सजी दीवारें इस स्थान को आकर्षण बनाती हैं। यहां एक आयुर्वेदिक
डिस्पेन्सरी और गीताप्रेस गोरखपुर की एक शाखा भी है। प्रवचन और कीर्तन
मंदिर की नियमित क्रियाएं हैं। शाम को यहां भक्ति संगीत की आनंद लिया जा
सकता है। तीर्थयात्रियों के ठहरने के लिए यहां सैकड़ों कमरे हैं।
कैसे जाएं
वायुमार्ग
ऋषिकेश
से 18 किमी. की दूरी पर देहरादून के निकट जौली ग्रान्ट एयरपोर्ट नजदीकी
एयरपोर्ट है। इंडियन एयरलाइन्स की फ्लाइटें इस एयरपोर्ट को दिल्ली से
जोड़ती है।
- रेलमार्ग
ऋषिकेश का नजदीकी रलवे स्टेशन ऋषिकेश है जो शहर से 5 किमी. दूर है। ऋषिकेश देश के प्रमुख रलवे स्टेशनों से जुड़ा हुआ है।
- सड़क मार्ग
दिल्ली के कश्मीरी
गेट से ऋषिकेश के लिए डीलक्स और निजी बसों की व्यवस्था है। राज्य परिवहन
निगम की बसें नियमित रूप से दिल्ली और उत्तराखंड के अनेक शहरों से ऋषिकेश
के लिए चलती हैं।
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