महाशिवरात्री के पावन पर्व पर यहां दर्शनों के लिये सर्वाधिक भीड लगती है । उस दौरान यहां एक बडे मेले का सा माहोल होता है, मंदिर के बाहर
ही फूल मालाएं, बिल्व पत्र व आकडे के फुलों की माला वाले, नारियल वाले,
रंग बिरंगे गुब्बारे वाले, तरह तरह के खिलोने वाले आदि यकायक जाने कहीं से आ
जाते है । मंदिर में भी व्यवस्था बनाए रखने के लिये रेलिंग वगेरह लगाई
जाती है, ताकि दर्शन करने वाले एक लाईन मे चलते हुए शिवजी के दर्शन कर पाएं । युं तो मंदिर में भगवान शिव की पुजा, श्रंगार, आरती आदि रोजाना ही की जाती है पर ईस महाशिवरात्री के त्योहार के मौके पर खास श्रंगार किया जाता है व फिर दर्शन होते हैं । पुजारी एवं स्वयंसेवी लोगों द्वारा प्रसाद, चरणामृत आदि भी दर्शनार्थीयों को दिया जाता है
भजन भक्तगण “बम बम भोले” करते रहते है, शिव स्तुति व भजन गाते हैं, और शिवलिंग के दर्शनों का लुत्फ लेते हैं । कई शौकीन लोग शिवजी का विशेष प्रसाद “भांग” भी लेते हैं व मस्ती में तल्लीन रहते हैं, क्योंकि यह दिन हे ही भोले बाबा एवं उनके भक्तों के नाम । महाशिवरात्री के मौके पर तो यहां दर्शन करना बडा भारी काम हो ए॓सा लगता है । लाईन में लगना, धीरे धीरे भीड में से होकर मंदिर मे जाना, कहने का अभिप्राय यह हे कि भगवान भी युं ही दर्शन नहीं देते हें, काफी भक्ती करवाते है । वेसे इतनी भीड में जुते चोरी हो जाने का या फिर बटुआ कोई पार ना कर ले, इसका डर बना रहता है। पर यह भोले बाबा के भक्तगणों की अटूट आस्था है, कि वे कम से कम महाशिवरात्री के इस पावन पर्व तो एक बार शिव दर्शन करें ही करें ।
भजन भक्तगण “बम बम भोले” करते रहते है, शिव स्तुति व भजन गाते हैं, और शिवलिंग के दर्शनों का लुत्फ लेते हैं । कई शौकीन लोग शिवजी का विशेष प्रसाद “भांग” भी लेते हैं व मस्ती में तल्लीन रहते हैं, क्योंकि यह दिन हे ही भोले बाबा एवं उनके भक्तों के नाम । महाशिवरात्री के मौके पर तो यहां दर्शन करना बडा भारी काम हो ए॓सा लगता है । लाईन में लगना, धीरे धीरे भीड में से होकर मंदिर मे जाना, कहने का अभिप्राय यह हे कि भगवान भी युं ही दर्शन नहीं देते हें, काफी भक्ती करवाते है । वेसे इतनी भीड में जुते चोरी हो जाने का या फिर बटुआ कोई पार ना कर ले, इसका डर बना रहता है। पर यह भोले बाबा के भक्तगणों की अटूट आस्था है, कि वे कम से कम महाशिवरात्री के इस पावन पर्व तो एक बार शिव दर्शन करें ही करें ।
रणमुक्तेश्वर महादेव व प्रताप गुफा
हल्दीघाटी
के ही रास्ते में आता है रणमुक्तेश्वर महादेव का मंदिर, यह मंदिर अपना एक
अलग एतिहासिक महत्व रखता है, क्योंकि महाराणा प्रताप यहां गुफा में कुछ समय
के लिये रुके थे, तब से यह प्रताप गुफा के नाम से भी जाना जाता है । रणमुक्तेश्वर महादेव मंदिर का यह पवित्र मंदिर
आज भी जैसे स्वाभिमानी राणा प्रताप की दास्तान बयान करता नजर आता है, धन्य
हें वे लाल जिन्होने आजादी कि खातिर अपने सारे एशोआराम छोड दिये ।
महाराणा प्रताप के जीवन का एक बडा समय यहीं मेवाड के पहाडों व गुफाओं में ही बीता । रण या युद्ध से मुक्ति दिलाने वाले रणमुक्तेश्वर महादेव का मंदिर वाकई में काफी अनोखा है । यहां की गुफा में अधिकांशतः पानी बहता रहता है जो पहाडों में से होता हुआ जाने कहां से आता है । यहां रोजाना पुजा अर्चना आदि की जाती हे और विशेष मौके जेसे महाशिवरात्री या महाराणा प्रताप जयंति आदि पर खास दर्शन होते हैं । यहां ठहर कर कुछ पल रुकने मात्र से ही मन को असीम शांति मिलती है ।
महाराणा प्रताप के जीवन का एक बडा समय यहीं मेवाड के पहाडों व गुफाओं में ही बीता । रण या युद्ध से मुक्ति दिलाने वाले रणमुक्तेश्वर महादेव का मंदिर वाकई में काफी अनोखा है । यहां की गुफा में अधिकांशतः पानी बहता रहता है जो पहाडों में से होता हुआ जाने कहां से आता है । यहां रोजाना पुजा अर्चना आदि की जाती हे और विशेष मौके जेसे महाशिवरात्री या महाराणा प्रताप जयंति आदि पर खास दर्शन होते हैं । यहां ठहर कर कुछ पल रुकने मात्र से ही मन को असीम शांति मिलती है ।