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श्रीरावणकृतं शिवताण्डवस्तोत्रं
अनेक भक्तों ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए कई स्तुतियों की रचना की है। रावण भी भगवान शिव का परम भक्त था। रावण ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए ही शिव तांडव स्त्रोत की रचना की थी। रावण नित्य इस स्त्रोत से भगवान शंकर की पूजा करता था। इस स्त्रोत का महत्व है कि जो भी इसका पाठ करता है वह कभी दरिद्र नहीं होता। उसकी हर मनोकामना पूरी होती है तथा दुनिया भर के सभी ऐश्वर्य, सुख आदि उसके पास होता है।
ज्योतिर्लिंगों से जुड़ा है सृष्टि का सारा रहस्य
ॐ नमः शिवाय
ज्योतिर्लिंगों से जुड़ा है सृष्टि का सारा रहस्य
जब पहली बार विधाता ने इस सृष्टि की रचना शुरू की थी। दरअसल शिव के ज्योतिर्लिंगों से जुड़ा है सृष्टि का सारा रहस्य। हर ज्योतिर्लिंग से जुड़ी है मनोरथ और सिद्धि के तमाम सीढ़ियां।
लेकिन पहले जानते हैं शिव कौन हैं। कैसे धारण करते हैं वो इस जगत को। कैसे देवी भगवती शक्ति बनकर हमेशा उनके साथ रहती हैं।
शिव के लिए पार्वती ने किया था कठोर तप
शिव के लिए पार्वती ने किया था कठोर तप
शिवपुराण में कथा आती है कि ब्रह्माजी के आदेशानुसार भगवान शंकर को वरण करने के लिए पार्वती ने कठोर तप किया था। ब्रह्मा के आदेशोपरांत महर्षि नारद ने पार्वती को पंचाक्षर मंत्र 'शिवाय नमः' की दीक्षा दी। दीक्षा लेकर पार्वती सखियों के साथ तपोवन में जाकर कठोर तपस्या करने लगीं। उनके कठोर तप का वर्णन शिवपुराण में आया है-
कालों के काल महाकाल
ॐ नमः शिवाय
कालों के काल महाकाल
भगवान विष्णु और शिव एक हैं
भगवान विष्णु और शिव एक हैं
भगवान् विष्णु बोले – प्रिये ! मैं हृदयमें जिनका ध्यान कर रहा हूँ, उनका
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