भगवान विष्णु और शिव एक हैं
भगवान् विष्णु बोले – प्रिये ! मैं हृदयमें जिनका ध्यान कर रहा हूँ, उनका परिचय देता हूँ, सुनो । पार्वतीपति भगवान् शंकर सबसे प्रधना माने जाते हैं । तुरंत प्रसन्न हो जाना उनका स्वाभाविक गुण है ! उन देवधिदेव के पराक्रम की कोई सीमा नहीं है । कभी तो ऐसा होता है कि त्रिपुरासुर का वध करने वाले वे देवेश मेरा ध्यान करते हैं और मैं उनका करता हूँ । उनका प्रिय प्राण मैं हूँ और मेरे प्रिय प्राण वे हैं । हम दोनों का चित्त परस्पर गुँथा हुआ है । अत: दोनों में किन्चितमात्र भेद नहीं समझना चाहिये । विशाललोचने ! जो भगवान् शंकर से द्वेष करते हैं, वे मेरे भक्त ही क्यों न हों; किंतु नरक में जाना उनके लिये अनिवार्य है । मैं यह परम सत्य बता रहा हूँ ।
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