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खजुराहो मंदिरों में सबसे विशाल कन्दारिया महादेव
बृहस्पतिवार 19 सितम्बर 2013
प्रस्तुतकर्ता :- उमा महादेव ग्रुप
प्रस्तुतकर्ता :- उमा महादेव ग्रुप
ॐ नमः शिवाय
खजुराहो मंदिरों में सबसे विशाल कन्दारिया महादेव
खजुराहो के मंदिरों में सबसे विशाल कंदरिया महादेव मंदिर मूलतः शिव मंदिर है। मंदिर का निर्माणकाल १००० सन् ई. है तथा इसकी लंबाई १०२', चौड़ाई ६६' और ऊँचाई १०१' है। स्थानीय मत के अनुसार इसका कंदरिया नामांकरण, भगवान शिव के एक नाम कंदर्पी के अनुसार हुआ है। इसी कंदर्पी से कंडर्पी शब्द का विकास हुआ, जो कालांतर में कंदरिया में परिवर्तित हो गया।विश्व का एकमात्र अर्धनारीश्वर काठगढ़ महादेव
बुधवार 18 सितम्बर 2013
प्रस्तुतकर्ता :- उमा महादेव ग्रुप
ॐ नमः शिवाय
विश्व का एकमात्र अर्धनारीश्वर काठगढ़ महादेव
शिव पुराण की विधेश्वर संहिता के अनुसार पद्म कल्प के प्रारंभ में एक बार ब्रह्मा और विष्णु के मध्य श्रेष्ठता का विवाद उत्पन्न हो गया और दोनों दिव्यास्त्र लेकर युद्ध हेतु उन्मुख हो उठे। यह भयंकर स्थिति देख शिव सहसा वहां आदि अनंत ज्योतिर्मय स्तंभ के रूप में प्रकट हो गए, जिससे दोनों देवताओं के दिव्यास्त्र स्वत: ही शांत हो गए।भगवान् शिव के द्वारा सृष्टि
सोमवार 26 अगस्त 2013
प्रस्तुतकर्ता :- उमा महादेव ग्रुप
जिस समय सर्वत्र केवल अन्धकार-ही-अन्धकार था; न
सूर्य दिखायी देते थे न चन्द्रमा, अन्यान्य ग्रह-नक्षत्रों का भी कहीं पता
नहीं था; न दिन होता था न रात। अग्नि, पृथ्वी, जल और वायुकी भी सत्ता नहीं
थी—उस समय एक मात्र सत् ब्रह्म अर्थात् सदाशिव की ही सत्ता विद्यमान थी, जो
अनादि और चिन्मय कही जाती है। उन्हीं भगवान् सदाशिव को वेद, पुराण और
उपनिषद् तथा संत-महात्म आदि ईश्वर तथा सर्वलोकमहेश्वर कहते हैं।
प्रस्तुतकर्ता :- उमा महादेव ग्रुप
ॐ नमः शिवाय
भगवान् शिव के द्वारा सृष्टि
शिव का धाम कैलाश मानसरोवर
शनिवार 24 अगस्त 2013
प्रस्तुतकर्ता :- उमा महादेव ग्रुप
धर्मयात्रा में इस बार हम आपको दर्शन करा रहे हैं कैलाश मानसरोवर
के। मानसरोवर वही पवित्र जगह है, जिसे शिव का धाम माना जाता है। पौराणिक
कथाओं के अनुसार मानसरोवर के पास स्थित कैलाश पर्वत पर शिव-शंभु का धाम है।
यही वह पावन जगह है, जहाँ शिव-शंभु विराजते हैं।
प्रस्तुतकर्ता :- उमा महादेव ग्रुप
ॐ नमः शिवाय
शिव का धाम कैलाश मानसरोवर
चारूवा स्थित चमत्कारिक प्राचीन गुप्तेश्वर मंदिर
ब्रहस्पतिवार 22 अगस्त 2013
1934 में महाशिवरात्रि पर प्रारंभ हुआ था विशाल मेला
मध्यप्रदेश के हरदा जिले के ग्राम चारूवा में स्थित इस शिवमंदिर की महिमा दूर-दूर तक विख्यात है। भव्य पुरातन शैली में पत्थरों से निर्मित इस मंदिर में शिवलिंग चमत्कारिक माना जाता है। महाशिवरात्रि के अवसर पर प्रतिवर्ष यहाँ मेला लगता है। मध्यप्रदेश ही नहीं महाराष्ट्र, गुजरात, उत्तरप्रदेश से यहाँ श्रद्धालु बड़ी संख्या में आते हैं। यहाँ के विशाल मंदिर के गर्भगृह में स्थापित भगवान शिव की आराधना करते हैं।
महाशिवरात्रि के दिन यहाँ ज्योतिर्लिंग मंदिरों की भाँति दिनभर विशेष अभिषेक-पूजा होती है। भक्तों का ताँता सुबह से लगना शुरू हो जाता है। मंदिर प्रांगण में पीछे की ओर प्राचीन पत्थरों से निर्मित वर्गाकार भूलभुलैया संरचना भी बनी है।
माना जाता है कि यह सरंचना महाभारत युद्ध के चक्रव्यूव की भाँति है। इसमें स्थित विचित्र गुत्थी को सुलझाने वाला तीव्र बुद्धिमान होता है।उधर मेले में भी दूर-दूर से छोटे-बड़े दुकानदार भगवान भोलेनाथ के इस स्थल पर बड़ी आशा के साथ व्यापार करने आते हैं। भगवान गुप्तेश्वर का यह मेला इस वर्ष 6 मार्च से प्रारंभ हो रहा है। यह 26 मार्च तक चलेगा। मेला समिति के अध्यक्ष श्री बसंतराव शिंदे तथा गुप्तेश्वर मंदिर प्रबंध समिति के अध्यक्ष श्री माँगीलाल नाहर ने बताया कि मेले में दुकानों के लिए आवंटन प्रारंभ हो गया है। मेले में विभिन्न दुकानों के अलावा दर्शकों के मनोरंजन के लिए झूले, टूरिंग टॉकीज, सर्कस, जादू के खेल आदि आते हैं। मंदिर के पीछे विशाल पशु मेला भी लगता है।
भव्य पालकी
महाशिवरात्रि पर्व पर यहाँ श्रद्धालुओं की अपार भीड़ रहती है। पावन पर्व के अवसर पर भगवान भोलेनाथ की भव्य पालकी निकाली जाती है। इस वर्ष 7 मार्च को यह पालकी निकाली जाएगी। साथ ही आकर्षक आतिशबाजी भी की जाएगी। पालकी को निहारने के लिए भक्तों का सैलाब उमड़ता है। ऐसा लगता है मानो दर्शन करने की होड़ सी मची है।
1934 से जारी है मेले की परंपरा
ग्रामीण पृष्ठभूमि में लगने वाला यह मेला सन 1934 में प्रारंभ हुआ था। प्रारंभ में मात्र तीन दिनों का लगता था किंतु कालांतर में जैसे-जैसे इसकी प्रसिद्धि बढ़ती गई, मेला अवधि भी बढ़ती गई और अब 21 दिन हो गई है।
कैसे जाएँ
हरिपुरा का गुप्तेश्वर मंदिर ग्राम चारूवा में स्थित है। यहाँ जाने के लिए मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल से खंडवा जाने वाली बड़ी रेललाइन पर हरदा के आगे खिरकिया स्टेशन उतरना पड़ता है। खिरकिया से मात्र 8 किलोमीटर दूर स्थित गुप्तेश्वर मंदिर जाने के लिए अनेक साधन टेम्पो, टैक्सी, बसें उपलब्ध हैं। सड़क मार्ग से जाने के लिए खंडवा-होशंगाबाद रोड पर स्थित छीपाबड़ (खिरकिया) से मात्र 7 किलोमीटर है। जिला मुख्यालय हरदा से इसकी दूरी करीब 36 किलोमीटर है।
ॐ नमः शिवाय
चारूवा स्थित चमत्कारिक प्राचीन गुप्तेश्वर मंदिर
मध्यप्रदेश के हरदा जिले के ग्राम चारूवा में स्थित इस शिवमंदिर की महिमा दूर-दूर तक विख्यात है। भव्य पुरातन शैली में पत्थरों से निर्मित इस मंदिर में शिवलिंग चमत्कारिक माना जाता है। महाशिवरात्रि के अवसर पर प्रतिवर्ष यहाँ मेला लगता है। मध्यप्रदेश ही नहीं महाराष्ट्र, गुजरात, उत्तरप्रदेश से यहाँ श्रद्धालु बड़ी संख्या में आते हैं। यहाँ के विशाल मंदिर के गर्भगृह में स्थापित भगवान शिव की आराधना करते हैं।
महाशिवरात्रि के दिन यहाँ ज्योतिर्लिंग मंदिरों की भाँति दिनभर विशेष अभिषेक-पूजा होती है। भक्तों का ताँता सुबह से लगना शुरू हो जाता है। मंदिर प्रांगण में पीछे की ओर प्राचीन पत्थरों से निर्मित वर्गाकार भूलभुलैया संरचना भी बनी है।
माना जाता है कि यह सरंचना महाभारत युद्ध के चक्रव्यूव की भाँति है। इसमें स्थित विचित्र गुत्थी को सुलझाने वाला तीव्र बुद्धिमान होता है।उधर मेले में भी दूर-दूर से छोटे-बड़े दुकानदार भगवान भोलेनाथ के इस स्थल पर बड़ी आशा के साथ व्यापार करने आते हैं। भगवान गुप्तेश्वर का यह मेला इस वर्ष 6 मार्च से प्रारंभ हो रहा है। यह 26 मार्च तक चलेगा। मेला समिति के अध्यक्ष श्री बसंतराव शिंदे तथा गुप्तेश्वर मंदिर प्रबंध समिति के अध्यक्ष श्री माँगीलाल नाहर ने बताया कि मेले में दुकानों के लिए आवंटन प्रारंभ हो गया है। मेले में विभिन्न दुकानों के अलावा दर्शकों के मनोरंजन के लिए झूले, टूरिंग टॉकीज, सर्कस, जादू के खेल आदि आते हैं। मंदिर के पीछे विशाल पशु मेला भी लगता है।
भव्य पालकी
महाशिवरात्रि पर्व पर यहाँ श्रद्धालुओं की अपार भीड़ रहती है। पावन पर्व के अवसर पर भगवान भोलेनाथ की भव्य पालकी निकाली जाती है। इस वर्ष 7 मार्च को यह पालकी निकाली जाएगी। साथ ही आकर्षक आतिशबाजी भी की जाएगी। पालकी को निहारने के लिए भक्तों का सैलाब उमड़ता है। ऐसा लगता है मानो दर्शन करने की होड़ सी मची है।
1934 से जारी है मेले की परंपरा
ग्रामीण पृष्ठभूमि में लगने वाला यह मेला सन 1934 में प्रारंभ हुआ था। प्रारंभ में मात्र तीन दिनों का लगता था किंतु कालांतर में जैसे-जैसे इसकी प्रसिद्धि बढ़ती गई, मेला अवधि भी बढ़ती गई और अब 21 दिन हो गई है।
कैसे जाएँ
हरिपुरा का गुप्तेश्वर मंदिर ग्राम चारूवा में स्थित है। यहाँ जाने के लिए मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल से खंडवा जाने वाली बड़ी रेललाइन पर हरदा के आगे खिरकिया स्टेशन उतरना पड़ता है। खिरकिया से मात्र 8 किलोमीटर दूर स्थित गुप्तेश्वर मंदिर जाने के लिए अनेक साधन टेम्पो, टैक्सी, बसें उपलब्ध हैं। सड़क मार्ग से जाने के लिए खंडवा-होशंगाबाद रोड पर स्थित छीपाबड़ (खिरकिया) से मात्र 7 किलोमीटर है। जिला मुख्यालय हरदा से इसकी दूरी करीब 36 किलोमीटर है।
शिव परिवार
बुधवार 21 अगस्त 2013
ॐ नमः शिवाय
शिव परिवार
देवी पार्वती-
यह
शिव की शक्ति हैं। शिव की अनाम शक्ति ही अलग-अलग नाम धारण करती है।
लक्ष्मी से लेकर राधा तक, सब शिव की शक्तियां ही हैं। पार्वती पूर्वजन्म
में सती थीं। वह शिव की प्रेरणा हैं। शिव भोले हैं, पार्वती उनकी
बुद्धिशक्ति हैं। वह शिव को जगाने का साहस करती है। पार्वती का वाहन सिंह
है, जो शिव द्वारा ही दिया गया है। पार्वती को शिव, उमा या गौरी नाम से
बुलाते हैं।भगवान विष्णु का स्वप्न
ॐ नमः शिवाय
भगवान विष्णु का स्वप्न
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